लेखनी प्रतियोगिता -07-Jan-2022
ऐ मेरी जाने वफ़ा ऐ मेरी जाने वफ़ा
तेरा बनकर रहूँ न हूँ कभी तुझसे जुदा
ऐ मेरी जाने वफ़ा ऐ मेरी जाने वफ़ा
मेरी आँखें हो और तेरा चेहरा हो
प्यार तुझसे इस क़दर गहरा हो
हर रोज़ आऊंगा मैं तुझे मिलने
चाहे जहाँ में कितना भी पहरा हो
आ गया हूँ मैं अपना जलवा तू दिखा
ऐ मेरी जाने वफ़ा ऐ मेरी जाने वफ़ा
तेरी यादों में इस क़दर रोया
तुझे पाने में सब कुछ खोया
तेरे सुकूँ की ख़ातिर जाना
तेरे ग़मों को खुद में पिरोया
मुझको भाती है वो तेरी मस्त अदा
ऐ मेरे जाने वफ़ा ऐ मेरी जाने वफ़ा
तेरे लबों पर अब हो नाम मेरा
मुझसे मोहब्बत हो काम तेरा
ऐसी कशिश बख्शी है रब ने
तुझ को ही देखूँ हो शाम सवेरा
तेरी आँखों में बसी है जो ऐसी हया
ऐ मेरी जाने वफ़ा ऐ मेरी जाने वफ़ा
कैसे कटेगी तेरी बिन तन्हाई
तुझसे कभी न हो मेरी जुदाई
मिटने से भी ये मिट न सकेगी
मेरे दिल पर जो है तेरी लिखाई
तूने प्यार से ही कुछ ऐसा लिखा
ऐ मेरी जाने वफ़ा ऐ मेरी जाने वफ़ा
अब क्या लिखूं मैं तुम ही बताओ
मेरे जैसा तुम कोई दूसरा दिखाओ
मेरे लिए तुम परी हो हूरे जन्नत हो
प्यार वफ़ा के देखो किस्से सुनाओ
नौशाद के शेरों से बनी हैं ऐसी फ़ज़ा
ऐ मेरी जाने वफ़ा ऐ मेरी जाने वफ़ा
डॉ नाश
Punam verma
08-Jan-2022 04:36 AM
Nice
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S.nrabbani
08-Jan-2022 01:12 PM
बहुत बहुत शुक्रिया
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Abhinav ji
08-Jan-2022 04:25 AM
Very nice
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S.nrabbani
08-Jan-2022 01:12 PM
बहुत बहुत शुक्रिया
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Bushra Maryam
08-Jan-2022 12:31 AM
Zabardast
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S.nrabbani
08-Jan-2022 01:12 PM
बहुत बहुत शुक्रिया बुशरा
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